About life poem in Hindi
कभी कभी आलम यू रखना कि
मैं हूं और तुम्हारा रास्ता तभी महफूज़ हो,
हां हमें पता है मंजिल पाने का
कठिन है रास्ता पर
वह रास्ता मेरी ख्वाहिशों का है,
जिसमें मैं हूं और मेरा सुकून हो,
मैं तो मुसाफिर हूं जनाब
साहिल में कश्ती कहां रुकती है?
या तो उस कश्ती को
मंजिल पाना ही होता है और
ना पाए तो समझना
समंदर उसे ले डूबती है ,
कभी-कभी आलम यू रखना
कि मैं आऊं और तुम्हारा रास्ता
तब भी महफूज़ हो पर
वो रास्ता मेरी ख्वाहिशों का है
जिसमें मैं हूं और मेरा सुकून हो……
मेरी आरजू तमन्नाओं रुक जाना वहीं
जहां मुझे मेरी मंजिल मिल जाए ,
आखिर दीदार मैं उसे अपना भी करा दूँ
जिसे गुरुर है अपने उड़ने का,
कभी-कभी आलम यू रखना कि मैं आऊं
और तुम्हारा रास्ता तब भी महफूज़ हो ,
पर वो रास्ता मेरी ख्वाहिशों का है
जिसमें मैं हूं और मेरा सुकून हो…
हमें पता है राह में पत्थर भी पड़े हैं ,
कुछ अनजाने रास्ते आगे
तो कुछ पीछे खड़े हैं ,
तुझे तो रुक कर खुद को
विराम देना भी नहीं आता ,
जरा सोच ऐ मुसाफिर अगर सब्र होता
तो अंजाम में यू रोना भी नहीं आता,
कभी-कभी आलम यू रखना कि
मैं आऊं और तुम्हारा रास्ता
तब भी महफूज़ हो पर,
यह रास्ता मेरी ख्वाहिशों का है
जिसने मैं हूं और मेरा सुकून हो….
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