Deshbhakti Poetry in Hindi
अगर सरहदों में बिकता खून मेरा,
तो भारत माँ भी कहती कि
तू मेरी संतान नहीं,
पर मैं तो हूं वह सिपाही,
जिसे जंग में पीछे हटना आता ही नहीं।
मैं बहा दूं खून दुश्मनो का इस धरती पर,
यह धरती तो मां है मेरी ।
मैं निकलूं घर से जननी का चरण छू,
यह सिर्फ आशीर्वाद नहीं यह तो चट्टां है मेरी।
मैं तो हूं वह सिपाही,
जिसे जंग में पीछे हटना आता ही नहीं।
मैं बहा दूं खून दुश्मनो का इस धरती पर,
यह धरती तो मां है मेरी ।
ईश्वर पर चढ़ते हैं जो फूल कई,
इस माटी में खिला हरफूल तो शान है मेरी,
मैं बिछा दूं माटी में लाशें मगर,
देश को ना मिटने दूंगा।
हर अंधेरा हटा में इस धारा को,
रोशनी से मिलने दूंगा।
मैं बहा दूं खून दुश्मनो का इस धरती पर,
यह धरती तो मां है मेरी ।
Deshbhakti Poetry in Hindi 👇
Deshbhakti kavita l मैं सैनिक
गोरव क्रांति वीर बने हम 🇮🇳
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