Hindi Shayari life कितने अपने थे मेरे, सब से दूर हो गया, मन से करता था सब, अब मजबूर हो गया। पहले मालिक था अपने जज्बातों का, अब मजदूर हो
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Hindi Shayari life कितने अपने थे मेरे, सब से दूर हो गया, मन से करता था सब, अब मजबूर हो गया। पहले मालिक था अपने जज्बातों का, अब मजदूर हो